दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना (Mukhyamantri Nishakt Vivah Protsahan Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत यदि नवविवाहित दंपति में से कोई एक दिव्यांग हो, तो ₹2 लाख की सहायता राशि प्रदान की जाती है, जबकि दोनों दिव्यांग होने की स्थिति में ₹1 लाख की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक की न्यूनतम दिव्यांगता 40% होनी चाहिए, वह मध्य प्रदेश का निवासी हो, आयकरदाता न हो और उसकी आयु वैधानिक विवाह आयु के अनुसार होनी चाहिए। आवेदन ऑनलाइन पोर्टल या संबंधित विभागीय कार्यालय के माध्यम से किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना (Mukhyamantri Nishakt Vivah Protsahan Yojana) का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों के विवाह को प्रोत्साहित करना और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके जीवन में सम्मान और आत्मनिर्भरता लाना है। यह योजना विशेष रूप से उन दिव्यांगजनों के लिए बनाई गई है जो सामाजिक असमानता के कारण विवाह जैसे सामान्य जीवन के निर्णयों में पीछे रह जाते हैं।
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना की शुरुआत
यह योजना भारत के विभिन्न राज्यों में लागू की गई है, लेकिन इसका सबसे प्रभावी क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में देखा गया है। प्रत्येक राज्य में योजना के नियम और प्रोत्साहन राशि थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य समान है – दिव्यांग व्यक्तियों को वैवाहिक जीवन में सहयोग देना।
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली सहायता
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना (Mukhyamantri Nishakt Vivah Protsahan Yojana) के अंतर्गत विवाह करने वाले दिव्यांग जोड़ों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना के तहत पात्र जोड़ों को ₹35,000 से ₹50,000 तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
कुछ राज्यों में यह सहायता राशि अधिक हो सकती है यदि:
- दोनों पति-पत्नी दिव्यांग हों,
- या किसी एक की विकलांगता की श्रेणी 40% से अधिक हो।
पात्रता की शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ जरूरी पात्रता शर्तें होती हैं:
- दिव्यांगता प्रमाणपत्र – विवाह करने वाले कम से कम एक व्यक्ति के पास सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 40% या उससे अधिक की दिव्यांगता का प्रमाणपत्र होना चाहिए।
- आयु सीमा – पति-पत्नी की आयु क्रमशः 21 और 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- पहला विवाह – यह योजना केवल प्रथम विवाह के लिए मान्य होती है।
- स्थायी निवासी – आवेदनकर्ता उस राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए, जहां से वह योजना के लिए आवेदन कर रहा है।
- विवाह का पंजीकरण – विवाह का विधिवत पंजीकरण होना चाहिए।
आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन प्रक्रिया काफी सरल और पारदर्शी है। ज्यादातर राज्यों में अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती है। इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
- आधार कार्ड
- दिव्यांगता प्रमाण पत्र
- निवास प्रमाण पत्र
- विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र
- बैंक पासबुक की कॉपी
- पासपोर्ट साइज फोटो
कुछ राज्यों में ऑफलाइन आवेदन की भी सुविधा दी गई है, जहाँ आवेदनकर्ता समाज कल्याण विभाग या जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना के लाभ
- आर्थिक सहायता – सबसे बड़ा लाभ यह है कि नवविवाहित जोड़े को एकमुश्त सहायता राशि मिलती है, जिससे वे अपने नए जीवन की शुरुआत बेहतर ढंग से कर सकते हैं।
- सामाजिक स्वीकृति – योजना समाज में दिव्यांगजनों के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है और उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाती है।
- सरकारी सहयोग – इससे यह संदेश जाता है कि सरकार दिव्यांगजनों के साथ खड़ी है और उन्हें समान अवसर प्रदान कर रही है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री निःशक्त विवाह प्रोत्साहन योजना (Mukhyamantri Nishakt Vivah Protsahan Yojana) न केवल एक आर्थिक सहायता योजना है, बल्कि यह दिव्यांगजनों के आत्मसम्मान, अधिकार और समानता के लिए एक मजबूत कदम है। यह योजना समाज में समावेशन की भावना को बल देती है और यह दर्शाती है कि दिव्यांगजन भी समाज के सक्रिय और सम्मानित सदस्य हैं।
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